बक्सवाहा जंगलो में हीरों को पाने के लिए वहां लगे बहुमूल्य पेड़ों की बलि दि जाएगी| जिसके लिए 382.131 हेक्टेयर जंगल खत्म करने की तैयारी की जाने लगी है|
छतरपुर: यूं तो मध्य प्रदेश के पन्ना जिले को हीरों की खान माना जाता है।आपको बता दें कि अभी तक देश का सबसे बड़ा हीरा भंडार पन्ना जिले में है। यहां कुल 22 लाख कैरेट हीरे का भंडार है। इनमें 13 लाख कैरेट हीरा निकाला जा चुका है।
# लेकिन पन्ना से सटे छतरपुर जिले के बक्सवाहा जंगलों में देश में हीरों का सबसे बड़ा भंडार मिलने का दावा किया जा रहा है। इन जंगलों में 3.42 करोड़ कैरेट हीरे दबे होने का अनुमान लगाया गया है ।जो पन्ना से 15 गुना ज्यादा बताए जा रहे हैं |। लेकिन इन हीरों को पाने के लिए वहां लगे बहुमूल्य पेड़ों की बलि देनी होगी जिसके लिए 382.131 हेक्टेयर जंगल को नॺ्ट करने की तैयारी की जाने लगी है।
बक्सवाहा में हीरा खदान के लिए लाखों पेड़ काटने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( NGT) ने सख्त रुख अपनाते हुए पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी हबक्सवाहा में हीरा खदान के लिए लाखों पेड़ काटने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( NGT) ने सख्त रुख अपनाते हुए पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है। साथ ही, मध्यप्रदेश के मुख्य वन संरक्षक को आदेश दिया है कि वे देखें कि कोई भी पेड़ नहीं कटना चाहिए। इसके लिए वन विभाग की अनुमति आवश्यक है। वन संरक्षण अधिनियम की धारा 2 में प्रदत्त गाइडलाइन का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। इसके तहत एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया जाए।
आदेश में याचिकाकर्ता को निर्देश दिए गए, सभी आवश्यक कागजात और याचिका की कॉपी अनावेदकों को प्रस्तुत करें। मामले में पार्टी बनाए गए राज्य सरकार, केंद्र सरकार, वन विभाग, और हीरा खदान का ठेका लेने वाली निजी कंपनी को 4 सप्ताह जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है। अगली सुनवाई 27 अगस्त 2021 को तय की गई है।
20 साल पहले हुआ था सर्वे
छतरपुर के बक्सवाहा में बंदर डायमंड प्रोजेक्ट के तहत 20 साल पहले एक सर्वे शुरू हुआ था। दो साल पहले प्रदेश सरकार ने इस जंगल की नीलामी की थी । आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सबसे ज्यादा बोली लगाई । जिसे आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने खनन खरीदा था। हीरा भंडार वाली 62.64 हेक्टेयर जमीन को मध्य प्रदेश सरकार ने इस कंपनी को 50 साल के लिए लीज पर दिया है।
जमीन की खुदाई के लिए पेड़ों की होगी कटाई
हीरों के लिए जमीन की खुदाई के लिए अब जंगल में पेड़ों की कटाई की जाएगी। इसके लिए वन विभाग ने जमीन पर खड़े पेड़ों की गिनती कर ली है, जो 2,15,875 हैं। इनमें सागौन, केम, जामुन, बहेड़ा, पीपल, तेंदू, अर्जुन के पेड़ हैं। बिड़ला समूह से पहले आस्ट्रेलियाई कंपनी रियोटिंटो ने खनन लीज के लिए आवेदन किया था। लेकिन मई 2017 में संशोधित प्रस्ताव पर पर्यावरण मंत्रालय के अंतिम फैसले से पहले ही रियोटिंटो ने यहां काम करने से इनकार कर दिया था।
कंपनी ने सुनवाई के दौरान ये बताया🙃
वहीं, कंपनी (आदित्य बिरला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड) की ओर से वकीलों ने तर्क रखा, मामले में पूर्व से सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में केस लगा हुआ है। अब दो केस NGT में भी लगा दिया गया। इस तरह केस लगाकर खनन कंपनी को अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है। प्रोजेक्ट के लिए एमपी शासन को 27 करोड़ से अधिक दे चुकी है। माइनिंग विभाग अनुबंध से तीन साल के अंदर क्लीयरेंस करा कर देगी।
खनन कंपनी कटने वाले पेड़ से अधिक पेड़ लगाएगी🙃
दावा किया कि हीरा निकालने वाली साइट के 10 किमी क्षेत्र में रिजर्व फॉरेस्ट या वाइल्ड लाइफ सेंचुरी नहीं है। फाॅरेस्ट की रिपोर्ट में भी विशिष्ट जानवरों की उपस्थिति नहीं बताई गई है। पर्यावरण व वन विभाग की सभी अनुमतियों के बाद ही पेड़ काटा जाएगा। ग्राउंड वाॅटर को वॉटर हार्वेस्टिंग करके रिप्लेस करेंगे। बक्सवाहा में अगले 12 वर्षों में काटे जाने वाले 2.15 लाख पेड़ों की तुलना में 3.80 लाख पेड़ लगाए जाएंगे। इसके लिए कंपनी ने 15.8 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
विरोध करने वालों का तर्क
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में राज्य सरकार ने निजी कंपनी (आदित्य बिरला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड) को बक्सवाहा के जंगलों की कटाई करने की अनुमति दी है। यह अनुमति इस क्षेत्र में पाई जाने वाली हीरों की खानों की खुदाई के सन्दर्भ में दी गई है।
लगभग, 382.131 हेक्टेयर के इस जंगल क्षेत्र में 40 से ज्यादा विभिन्न प्रकार के दो लाख 15 हजार 875 पेड़ों को काटना होगा। इन जंगलों पर आश्रित 20 गांवों के 8000 निवासियों पर इसका असर पड़ेगा। जंगलों की कटाई से पर्यावरण के साथ ही बुंदेलखंड में भी जल संकट गहराएगा। क्योंकि इस क्षेत्र से होने वाला जल का बहाव ही बुंदेलखंड के विभिन्न क्षेत्रों तक जाता है।